*【रँग पँचमी-देव होली】*
*इसी दिन राधे रानी ने भगवान श्रीकृष्ण से पहली बार खेली थी गुलाल की होली】*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*इस खास अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के संग होली खेली थी। इसी वजह से इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाया जाता है।*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*पौराणिक कथा*
*पहली बार नंदगाँव बरसाने की लठामार होली के बाद जब राधे रानी व श्रीकृष्ण पहली बार ब्रज के गोवर्धन के समीप तलहटी में मिले तो राधे रानी ने भगवान से शिकायत की की "कान्हा ! समस्त ब्रज के ब्रजवासियों ने तो होली खेल ली ।मैं तो अपने मायके बरसाना में थी तो वहां तो किसी से होली खेल नही सकती थी।इसलिये मुझे तो आपसे होली खेलनी है।"*
*कान्हा जी ने कहा कि क्यों नही राधे आओ हम इस सरोवर के पास चलकर होली खेलते हैं।सरोवर में जाकर भगवान ने वहां की रज से गुलाल प्रकट किया एवं पहली बार राधे को गुलाल दिया और राधे रानी ने श्रीकृष्ण को पहली बार गुलाल लगाकर होली खेली ।*
*जिस सरोवर से मिट्टी से गुलाल प्रकट किया उस कुंड का नाम गुलाल कुंड पड़ गया जो आज भी विद्यमान है।*
*जब वे आपस मे होली खेल रहे थे तो उनकी इस दिव्य लीला को देखने सभी देवी देवता प्रकट हो गए एवं उनके साथ होली खेलने में आनंद लेने लगे।*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*{🍃गांठ बांधकर खेली गई थी होली इसलिये गांव का नाम पड़ गया गाँठोली}*🍃
*तभी सखियों व ग्वाल बालो ने भगवान एवं राधे रानी के दुपट्टे में आपस मे गांठ बांध दी । और दोनों गांठ बांधकर होली खेलने लगे। इसलिए उस स्थान का नाम गाँठोली पड़ गया जो आज भी विद्यमान है।*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*🌳आज भी विद्यमान है दिव्य वृक्ष-यहां एक ही जड़ से दो रँग की लताओं के वृक्ष हैं जो एक श्याम रँग का है व दूसरा गौरवर्ण का है।ये आपस में एक दूसरे से लिपटे हुए हैं।*
*🍂{यहां पूरे साल खेली जाती है गुलाल की होली}*🍂
*आज भी यहां पूरे साल होली खेली जाती है।भगवान के भक्त इस स्थान पर जाकर गुलाल की होली खेलते हैं एवं दिव्य वृक्ष के दर्शन करते हैं।*
*बृज चौरासी कोस यात्रा में यह प्रमुख तीर्थस्थल है।*
*रंग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व*
सनातन में हर त्योहार का आध्यात्मिक महत्व और तत्व ज्ञान समझाया गया है !
रंग पंचमी कृष्ण द्वारा खेली गई पर इसके पीछे का आध्यात्म क्या है??
निराकार परमात्मा शिव को ही अंधकार और प्रकाश दोनों माना जाता है। वही साकार रूप में कृष्ण भी हैं और महादेव भी l अपने दोनों रूपों के द्वारा वे संसार को ज्ञान देते हैं l जीवन जीने और मौक्ष का मार्ग दिखाते हैं l
मौक्ष मार्ग की यात्रा अंधकार से प्रकाश तक पहुंचने की यात्रा है! काला रंग नकारात्मकता का सूचक होता है जिसपर अच्छाई का कोई रंग नहीं चढ़ता l
परमात्मा शिव पवित्रम हैं अत: उनका रंग श्वेत माना गया है जिससे ही समस्त रंग निर्मित हुये हैं और जिसपर हर रंग चढ़ जाता है। कृष्ण की होली इसका ही प्रतीक है। सर्वप्रथम अपने भीतर के विकारों का दहन करो। (होलिका दहन ) फिर जीवन में प्रेम , उल्लास , सत्य , अहिंसा , विश्वास , दृढ़इच्छाशक्ति और समर्पण के रंग भरो जीवन खुशियों से सराबोर हो जाएगा l
तो रंग जाओ इन रंगों से l जी लो भरपूर आनंद l
🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷
Babita patel
07-Apr-2024 11:35 AM
V nice
Reply
Mohammed urooj khan
01-Apr-2024 02:11 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
HARSHADA GOSAVI
01-Apr-2024 09:51 AM
Amazing
Reply